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Navgrah Puja

नवग्रह पूजा और इसके लाभ
नवग्रह पूजा एक अत्यंत प्रभावशाली ज्योतिषीय अनुष्ठान है, जो जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह पूजा उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होती है, जिनकी कुंडली में ग्रह दोष, अशुभ योग या महादशा- अंतर्दशा के कारण परेशानियां हो रही हैं। नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) की कृपा से जीवन में उन्नति, सफलता और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
नवग्रह पूजा के प्रमुख लाभ:
1. ग्रह दोषों का निवारण – यदि कुंडली में किसी ग्रह की महादशा, अंतर्दशा या अशुभ योग (साढ़े साती, राहु-केतु दोष, कालसर्प योग आदि) है, तो यह पूजा उसे शांत करने में मदद करती है।
2. व्यापार और करियर में सफलता – यदि किसी ग्रह की अशुभ दशा के कारण व्यापार या नौकरी में बाधाएं आ रही हैं, तो यह पूजा उन्नति दिलाने में सहायक होती है।
3. वैवाहिक जीवन में सुधार – नवग्रहों की कृपा से पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ता है, जिससे दांपत्य जीवन सुखद बनता है।
4. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार – ग्रहों के अशुभ प्रभाव से उत्पन्न बीमारियों और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए यह पूजा अत्यंत प्रभावी होती है।
5. धन और समृद्धि में वृद्धि – यह पूजा आर्थिक समस्याओं को दूर करने और धन संबंधी बाधाओं को खत्म करने में सहायक होती है।
6. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से रक्षा – नवग्रहों की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और व्यक्ति बुरी नजर, तंत्र-मंत्र या नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहता है।

7. विद्या और बुद्धि में वृद्धि – विद्यार्थी और विद्या से जुड़े लोगों के लिए यह पूजा विशेष रूप से लाभकारी होती है, क्योंकि यह ग्रहों से संबंधित मानसिक एकाग्रता और ज्ञान को बढ़ाती है।

नवग्रह पूजा की प्रक्रिया:
इस पूजा के लिए विशेष रूप से किसी शुभ तिथि या ग्रहों की अनुकूल स्थिति को चुना जाता है।
नवग्रहों की विशेष मूर्तियों या यंत्रों की स्थापना कर विधिवत पूजा की जाती है।
नवग्रह बीज मंत्रों का जाप किया जाता है, जैसे –

सूर्य मंत्र – "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"

चंद्र मंत्र – "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः"

मंगल मंत्र – "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः"

बुध मंत्र – "ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः"

गुरु मंत्र – "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः"

शुक्र मंत्र – "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः"

शनि मंत्र – "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"

राहु मंत्र – "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः"

केतु मंत्र – "ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः"

मंत्रों के जाप के बाद हवन किया जाता है, जिससे ग्रहों की अशुभता कम होती है।
नवग्रह से संबंधित वस्त्र, फूल, धूप-दीप, प्रसाद आदि अर्पित किए जाते हैं।
इस पूजा के अंत में ब्राह्मणों और गरीबों को दान करने से अधिक लाभ मिलता है।
यदि आप जीवन में किसी भी क्षेत्र में संघर्ष कर रहे हैं या ग्रहों के अशुभ प्रभाव से परेशान हैं, तो नवग्रह पूजा आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती है।