Vastu
वास्तु शास्त्र न केवल भवन निर्माण की एक प्राचीन भारतीय विद्या है, बल्कि यह हमारे जीवन, मन और वातावरण को संतुलन में रखने का एक माध्यम भी है। यदि आपके घर में बार-बार समस्याएं आती हैं—बीमारी, कलह, आर्थिक संकट या मानसिक अशांति—तो इसका कारण वास्तु दोष हो सकता है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे आप अपने घर के वास्तु दोष पहचान सकते हैं और कुछ सरल उपायों से उन्हें दूर कर सकते हैं।
1. क्या होता है वास्तु दोष?
वास्तु दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी भवन का निर्माण या अंदरूनी व्यवस्था पंचतत्वों (जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी, आकाश) और दिशाओं के अनुसार नहीं होता। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है।
2. अपने घर के मुख्य वास्तु दोष कैसे पहचानें?
3. कुछ सामान्य वास्तु दोष और उनके सरल उपाय
मुख्य द्वार का दोष:
द्वार पर स्वस्तिक, ॐ या शुभ-लाभ का चिन्ह लगाएं।
दरवाजे के पास तुलसी का पौधा रखें।
द्वार पर नियमित रूप से गंगाजल का छिड़काव करें।
रसोई में दोष:
यदि रसोई उत्तर-पूर्व में है, तो गैस स्टोव को अग्निकोण (दक्षिण-पूर्व) में शिफ्ट करें।
रोज भोजन से पहले रसोई में दीपक जलाएं।
शयनकक्ष में दोष:
शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम में रखें।
सोते समय सिर दक्षिण की ओर रखें।
पूजा घर का दोष:
पूजा घर हमेशा ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में बनाएं।
कभी भी शौचालय के साथ या नीचे पूजा घर न बनाएं।
टॉयलेट दोष:
यदि टॉयलेट ब्रह्मस्थान में है, तो वहाँ नियमित गंगाजल छिड़कें।
वास्तु पिरामिड, रुद्राक्ष या नमक का उपयोग करें।
4. सरल वास्तु उपाय – बिना तोड़फोड़ के समाधान
1. नमक का उपाय: घर के कोनों में काँच की कटोरी में सेंधा नमक रखें। इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है।
2. पिरामिड ऊर्जा: वास्तु पिरामिड का प्रयोग करें जहाँ दोष हैं।
3. मंत्र जाप और गंगाजल: घर में नियमित शुद्धिकरण करें।
4. वास्तु यंत्र जैसे कि श्री वास्तु दोष निवारण यंत्र का प्रयोग करें।
5. अंत में: क्यों जरूरी है वास्तु का संतुलन?
वास्तु का सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य, संबंधों, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति पर पड़ता है। एक संतुलित और शुभ वास्तु वाला घर न केवल सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, बल्कि जीवन को सफलता की ओर भी ले जाता है।